Supreme Court ने महाराष्ट्र सरकार को 1992 के मुंबई दंगों में लापता लोगों के परिवारों को मुआवजा देने के लिए जारी निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। इससे पहले 4 नवंबर 2022 को भी इस मामले में कुछ निर्देश दिए गए थे लेकिन इनका पालन नहीं किया जा रहा था. जस्टिस Abhay S Oka और उज्जवल भुइयां की बेंच ने इस पर नाराजगी जताई है.
महाराष्ट्र के DGP और गृह विभाग को दिए गए निर्देश
शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक और राज्य के गृह विभाग को न्यायमूर्ति बीएन श्रीकृष्ण आयोग की सिफारिशों पर गौर करने को कहा है। इस संबंध में 19 जुलाई से पहले अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया गया है. इस मामले में स्वत: संज्ञान याचिका पर अब 26 जुलाई को अगली सुनवाई होगी.
जल्द से जल्द स्पेशल सेल का गठन किया जाए- Supreme Court
Supreme Court ने कहा कि मुंबई दंगों की परिस्थितियों, घटनाओं, कारणों और सभी पहलुओं की जांच के लिए 25 जनवरी, 1993 को राज्य सरकार द्वारा न्यायमूर्ति श्रीकृष्ण की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया गया था। 2022 में श्रीकृष्ण आयोग की सिफारिशों को राज्य सरकार ने स्वीकार कर लिया। इस मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार को 97 मामलों की निष्क्रिय फाइलों का ब्योरा एक महीने के भीतर बॉम्बे हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को देने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि सरकार को इन मामलों में लापता आरोपियों का पता लगाने के लिए जल्द से जल्द एक विशेष सेल का गठन करना चाहिए, ताकि मामले पर आगे की कार्रवाई की जा सके.
कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करें- Supreme Court
Supreme Court ने अपने आदेश में राज्य सरकार को मुंबई दंगों में लापता हुए 168 लोगों की जानकारी को लेकर कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया है. आपको बता दें कि मार्च 2020 में महाराष्ट्र के गृह विभाग ने कोर्ट में हलफनामा दिया था. बताया गया कि मुंबई दंगों के दौरान 900 लोगों की मौत हो गई थी और 168 लोग लापता हो गए थे। लापता 168 लोगों में से 60 लोगों के परिवारों को मुआवजा दिया जा चुका है.