CAA के खिलाफ देशभर से दायर 200 से ज्यादा याचिकाओं पर आज Supreme Court में सुनवाई शुरू हो गई. फिलहाल Supreme Court ने CAA पर किसी भी तरह की रोक लगाने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने केंद्र सरकार से CAA पर तीन हफ्ते में जवाब मांगा है. सुनवाई के दौरान CJI ने केंद्र सरकार से पूछा कि अधिसूचना पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर जवाब देने के लिए उन्हें कितना समय चाहिए. जिस पर केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल ने 4 हफ्ते का वक्त मांगा था. हालांकि, कोर्ट ने केंद्र को जवाब दाखिल करने के लिए तीन हफ्ते का समय दिया है, अब मामले में अगली सुनवाई 9 अप्रैल को होगी.
कपिल सिब्बल ने केंद्र को समय देने का विरोध किया
एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने केंद्र को समय देने का विरोध किया. उन्होंने कहा कि CAA को चार साल हो गए हैं. एक बार लोगों को नागरिकता मिल गई तो उसे वापस लौटाना मुश्किल हो जाएगा. उन्होंने कहा कि इसके बाद ये याचिकाएं निष्प्रभावी हो जाएंगी. कपिल सिब्बल ने कहा कि इस नोटिफिकेशन का इंतजार किया जा सकता है. हम समय का विरोध नहीं कर रहे हैं, चार साल बाद इसकी क्या जल्दी है? इसके साथ ही कपिल सिब्बल ने कोर्ट से नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की मांग की.
याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट में पेश हुई एक अन्य वकील इंदिरा जयसिंह ने CAA पर रोक लगाने की मांग की थी. उन्होंने कहा कि इस मामले को बड़ी बेंच के पास भेजा जाना चाहिए. साथ ही CJI ने कहा कि केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए कुछ समय दिया जा सकता है, क्योंकि वह कुछ और समय मांगने का हकदार है. Supreme Court ने पूछा कि 236 याचिकाओं में से कितने मामलों में कोर्ट ने नोटिस जारी किया है.
“असम के मामलों की अलग से होगी सुनवाई”
Supreme Court के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पहले से जारी आदेश के मुताबिक असम के मामलों की सुनवाई अलग से की जाएगी. याचिकाकर्ताओं में से एक वकील ने कहा कि 6बी(4) कहता है कि CAA असम के कुछ आदिवासी क्षेत्रों पर लागू नहीं होगा। मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम पूरी तरह बाहर हो गए हैं. CJI ने कहा कि पूरा राज्य बाहर नहीं है, सिर्फ वो हिस्से ही बाहर हैं जो 6वीं अनुसूची में शामिल हैं. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि शुरुआत से ही ऐसा है.
CJI ने केंद्र से कहा कि उसे अपना जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय मिलेगा और अगली सुनवाई 2 अप्रैल को होगी. वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि संघ ने चार सप्ताह तक काउंटर दाखिल नहीं करने का फैसला किया है. इस बीच वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि उन्हें इतना समय दीजिए, लेकिन इस बीच उन्हें नागरिकता मत दीजिए. केंद्र ने कहा कि इस मामले पर कुल 236 याचिकाएं दायर की गई हैं, 2 हफ्ते में जवाब दाखिल करना संभव नहीं होगा.
SC ने केंद्र से 3 हफ्ते में मांगा जवाब
कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि संवैधानिकता के मुद्दे गंभीर हैं. प्रवासियों की ओर से पेश वकील रंजीत कुमार ने कहा कि वे बलूचिस्तान से भारत आए हैं क्योंकि वहां उन पर अत्याचार किया गया. अगर उन्हें नागरिकता दे दी गई तो उन पर इसका क्या असर होगा? इंडिका जयसिंह ने पूछा कि क्या उन्हें वोट देने का अधिकार मिलेगा. CJI ने केंद्र से 3 हफ्ते में जवाब मांगा और 9 अप्रैल को सुनवाई का आदेश दिया.