NDA से जुड़े कई क्षेत्रीय दल चुनाव में BJP का सिरदर्द बढ़ा रहे हैं. कर्नाटक में पार्टी अपने सहयोगी JD(S) नेता प्रज्वल रेवन्ना और एचडी रेवन्ना के सेक्स स्कैंडल में फंस गई है। इस बीच आंध्र प्रदेश में पार्टी की सहयोगी TDP ने OBC आरक्षण में मुस्लिम कोटा का समर्थन किया है. गौरतलब है कि इस मुद्दे पर PM Modi समेत पूरी BJP विपक्ष पर हमलावर है और इसे OBC के वर्चस्व से जोड़ रही है.
बिहार में JDU समेत बाकी सभी सहयोगी दल BJP के भरोसे चुनाव लड़ रहे हैं. सभी सहयोगी दल अपनी-अपनी सीटों पर PM Modi और UP के CM Yogi Adityanath की जनसभा कराने पर जोर दे रहे हैं. BJP की रणनीति यहां सहयोगियों की मदद से RJD के एम-वाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण पर काबू पाने की है। 2014 के चुनाव में पार्टी ने LJP और कुशवाहा के साथ और पिछले चुनाव में LJP और JDU के साथ सफल सोशल इंजीनियरिंग की थी.
नायडू अपना हित देख रहे हैं
TDP प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने सत्ता में आने पर मुसलमानों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की है। दरअसल, राज्य की 40 से 50 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं का दबदबा है. नायडू इस घोषणा के जरिए इस वोट बैंक को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहे हैं.
पहले जैसी रणनीति नहीं
पिछले एक दशक से UP में पार्टी के सहयोगी रहे पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक हर बार चुनाव से पहले संयुक्त रणनीति बनाने के लिए NDA की बैठक होती थी.
पिछले चुनाव में भी PM Modi ने गठबंधन नेताओं से भोज पर मुलाकात की थी. इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ. दो चरणों का मतदान पूरा होने के बावजूद प्रचार के लिए सहयोगियों से नहीं पूछा जा रहा है. कहीं कोई संयुक्त प्रचार रणनीति नहीं है.
UP में पहले दो चरणों में RLD प्रमुख जयंत एक बार संयुक्त जनसभा में दिखे थे, इसी तरह बिहार में CM Nitish दो बार संयुक्त जनसभा में दिखे थे. इसके बाद ऐसा कोई संयोग नहीं बना.