New Delhi: Supreme Court ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूरक आरोपपत्र दाखिल कर आरोपियों से जमानत पाने का अधिकार छीनने की जांच एजेंसी ED की कोशिश की निंदा की है. Supreme Court ने कहा कि बिना किसी केस के आरोपी को हिरासत में रखना कैद की तरह है जो आजादी में बाधा डालता है. Justice Sanjeev Khanna की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि कानून के तहत आप मामले की जांच पूरी किए बिना किसी को गिरफ्तार नहीं कर सकते. हमें इस मुद्दे को सुलझाना होगा.’ कोर्ट ने ED को भी नोटिस जारी किया. इसमें यह भी कहा गया कि अगर मनी लॉन्ड्रिंग मामले की सुनवाई में देरी होती है तो जमानत देने पर कोई रोक नहीं है. Justice Khanna ने कहा कि जमानत का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत दिया गया है और मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की धारा 45 द्वारा इस अधिकार को छीना नहीं जा सकता है. मनीष सिसौदिया मामले में कहा गया है कि आरोपी को मुकदमे में देरी के आधार पर जमानत याचिका दाखिल करने की आजादी है. दरअसल, प्रेम प्रकाश नाम के आरोपी की ओर से Supreme Court में जमानत याचिका दाखिल की गई है. उन पर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में झारखंड के पूर्व CM Hemant Soren का सहयोगी होने का आरोप है। Supreme Court में ED की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू को बताया कि आरोपी 18 माह से जेल में है। कोर्ट ने कहा कि धारा 45 के जरिए संवैधानिक अधिकारों को नहीं छीना जा सकता और यह बात मनीष सिसौदिया मामले में साफ हो चुकी है.
कोर्ट ने Kejriwal से पूछा, पेश क्यों नहीं होते?
Delhi High Court ने बुधवार को CM Arvind Kejriwal से पूछा कि वह ED के समन की अनदेखी क्यों कर रहे हैं? आप सामने क्यों नहीं आ रहे हैं? Kejriwal की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि हमें गिरफ्तारी का डर है. हम अपना पक्ष रखेंगे, लेकिन सुरक्षा की जरूरत है.’ कोर्ट ने Kejriwal की अर्जी पर ED का रुख पूछा. ED ने कहा कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. इसके बाद कोर्ट ने ED को जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते का समय दिया है. अगली सुनवाई 23 अप्रैल तक के लिए टाल दी गई. दरअसल, Kejriwal शराब नीति से जुड़े मामले में ED के समन के खिलाफ कोर्ट पहुंचे थे. कोर्ट ने पूछा कि क्या ED पहले समन पर ही गिरफ्तारी कर लेती है. इस पर सिंघवी ने जवाब दिया कि मनीष सिसौदिया और सांसद संजय सिंह को भी इसी तरह गिरफ्तार किया गया था. ये उनका नया तरीका है.
ED अधिकारी को मिली जमानत
Supreme Court ने बुधवार को ईडी अधिकारी अंकित तिवारी को जमानत दे दी. तिवारी को रिश्वतखोरी के आरोप में दिसंबर में तमिलनाडु सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (DVAC) ने गिरफ्तार किया था। पिछले हफ्ते मद्रास High Court ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। मामले पर Supreme Court ने कहा कि जमानत की शर्तें ट्रायल कोर्ट तय करेगा. इस दौरान कोर्ट ने यह भी कहा कि जमानत के दौरान अंकित तिवारी किसी भी गवाह को प्रभावित करने या उससे बात करने की कोशिश नहीं करेगा. साथ ही वह कोर्ट की इजाजत के बिना तमिलनाडु नहीं छोड़ेंगे. पासपोर्ट को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में सरेंडर किया जाएगा।