Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि और हिन्दू नववर्ष शुरू, नवरात्रि की कैसे हुई शुरुआत

Chaitra Navratri 2024: 9 अप्रैल 2023 यानि आज मंगलवार से चैत्र नवरात्रि के साथ हिन्दू नववर्ष की शुरुआत हो चुकी है. आज चैत्र महीने की प्रतिपदा तिथि है. इसी दिन से हिंदूओं का नया साल शुरू होता है. ऐसी मान्यता है कि चैत्र महीने की प्रतिपदा तिथि को ही भगवान ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी. हिंदू पंचांग के अनुसार, आज हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2081 का पहला दिन है. देश के कई राज्यों में इसी दिन से चैत्र नवरात्रि का पर्व शुरू होता है. इस नववर्ष को देशभर में अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है.

महाराष्ट्र में मुख्य रूप से हिंदू नववर्ष को नव-सवंत्सर के नाम से जाना जाता है तो कहीं इसे गुड़ी पड़वा के रूप में मनाते हैं. इस दिन मराठी लोग गुड़ी बनाते हैं. गुड़ी बनाने के लिए एक खंबे में उल्टा पीतल का बर्तन रखा जाता है, इसे गहरे रंग की रेशम की लाल, पीली या केसरिया कपड़े और फूलों की माला और अशोक के पत्तों से सजाया जाता है. गुड़ी को ब्रह्मध्वज भी कहा जाता है. जिसकी लोग विधि-विधान से पूजा करते हैं और भगवान ब्रह्मा जी को प्रसन्न करते हैं और मनोकामना पूरी करने के लिए प्रार्थना करते हैं.

फसलों की भी होती है पूजा
गुड़ी पड़वा का जश्न मनान से मराठियों के लिए नए हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है. इस दिन लोग फसलों की पूजा आदि भी करते हैं. क्योंकि इसी महीने में किसानों की फसलें पूरी तरह से पक कर तैयार हो जाती है. इसके अलावा गुड़ी पड़वा पर लोग नीम के पत्ते खाते हैं. इस दिन सूर्य देव की विशेष पूजा आराधना की जाती है. जिससे लोगों को जीवन में समस्याओं का सामना न करना पड़े.

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इसी दिन से शुरू हुई थी सृष्टि की रचना
ऐसी मान्यता है कि गुड़ी पड़वा के दिन ही ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना का काम शुरू किया था और सतयुग का आरंभ भी इसी दिन से हुआ था. इस दिन को सृष्टि का प्रथम दिन या युगादि तिथि भी कहते हैं. रामायण काल में भगवान राम ने चैत्र प्रतिपदा के दिन ही बालि का वध किया था और इसी दिन विजय पताका फहराई थी. यहीं से गुड़ी पड़वा पर्व मनाने की शुरुआत हुई थी. ऐसी मान्यता है कि मुगलों से युद्ध जीतने के बाद छत्रपति शिवाजी ने पहली बार गुड़ी पड़वा का त्योहार मनाया था.

नवरात्रि की कैसे हुई शुरुआत
मां दुर्गा स्वयं शक्ति स्वरूपा हैं और नवरात्रि में सभी भक्त आध्यात्मिक शक्ति, सुख-समृद्धि की कामना करने के लिए इनकी उपासना करते हैं और व्रत रखते हैं. जिस राजा के द्वारा नवरात्रि की शुरुआत हुई थी उन्होंने भी देवी दुर्गा से आध्यात्मिक बल और विजय की कामना की थी. वाल्मीकि रामायण में उल्लेख मिलता है कि, किष्किंधा के पास ऋष्यमूक पर्वत पर लंका की चढ़ाई करने से पहले हिन्दू नववर्ष से पहले दिन से ही प्रभु राम ने माता दुर्गा की उपासना की थी. ब्रह्मा जी ने भगवान राम को देवी दुर्गा के स्वरूप, चंडी देवी की पूजा करने की सलाह दी और ब्रह्मा जी की सलाह पाकर भगवान राम ने प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक चंडी देवी की उपासना और पाठ किया था. तभी माता चंडी प्रकट हुईं और माता चंडी उनकी भक्ति से प्रसन्न हुईं और उन्हें विजय का आशीर्वाद दिया.

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